नारी तो छिपी छिपाई है।
कितने है द्वंद्व, कितने प्रतिबंध,
चहुं ओर से दिवारे भी है बंद।
कहते है नारी तू है स्वछंद।
क्या लग रही यह सच्चाई है ?
क्या यह सही मेरे भाई है ?
कर ले वो हॅस कर बात जो,
खुले केशो को रखे जो संवार के वो,
वो जो देख ले किसी अनजान को तो,
प्रश्न उठते उसके ईमान को,वो,,
यही कैसी जननी जाई है,
पूछे वो स्त्री जो कहाई है।
यह है वो फसल जो खुद उग आई है,
न किसी ने यह लगाई है,
बस उगती कंटीली सी झाड़ियां
जैसे खेती मे उग आई है।
पूछ तो रही हैं नारियाॅ,
क्यू न खिलती वो सब क्यारियां
जिसमे कन्याएं बुआई है,
जो बीज को उगाई है।
बिन धरा के बीज क्या उपजेगा,
क्या सृजन बिन तत्व के उगलेगा,
बात क्यू न समझ यह आई है।
हुई दुनिया क्यू रुसवाई है,
यह प्रश्न नारी लाई है
न उत्तर इसका मेरे भाई है।
घुट घुट के घूट घूटना,
बेवजह के प्रश्न पूछना,
यह कैसी दहशत छाई है,
यह कौन सी कलम चलाई है
नारी क्या तेरी स्याही है।
जो लिखती कहानी रोज एक,
पर अब तक जो न छ्प पाई है।
जीती जागती जीवंत है जो,
हर तरह से पुरूष की बंध है जो,
सीमा जिसे बताई है,
उनमे ही वो सांस ले पाई है।
यहा भी तो कई अंकुश लगे,
कई नियम है इसके गले,
मर्यादित है सब तो यू कहे,
पर तब भी है गिद्ध दृष्टि रखे।
मिल जाए मकरंद, ओर वो ले चखे,
कथा तार तार न हो आई है ,
यह सीमा जो बनाई है।
जिसमे लगे कट भाई है,।
यह कैसी शामत आई है,
नारी के प्रश्न की गवाही है,
न कोई गवाह, न जज,भाई है,
नारी तो छिपी छिपाई है।(2)
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नान सटाप २०२२
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Dedicated 2 all my female partners. My mother, sisters, female friends, wife,cousins sisters,motherly mothers n all feminine relatives n relationships.
मूल रचनाकार,
Sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,
Jai shree Krishna g ✍ 🙏 💖.
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
Swati chourasia
24-May-2022 10:07 PM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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Sandeep Sharma
25-May-2022 05:34 AM
धन्यवाद आदरणीय स्नेह को आभार। जयश्रीकृष्ण
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Seema Priyadarshini sahay
24-May-2022 08:59 PM
बहुत खूबसूरत
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Sandeep Sharma
24-May-2022 09:03 PM
आदरणीय आभार आपका।जय श्रीकृष्ण
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Gunjan Kamal
24-May-2022 03:21 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
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Sandeep Sharma
24-May-2022 06:28 PM
आदरणीय आभार। जय श्रीकृष्ण।
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